जब पिता के शब्द बने प्रेरणा: राव बीका जी का अद्वितीय उदाहरण !

1465 में एक मज़ाक ने जन्म दिया एक संकल्प को—राव बीका और रावत कंधल ने माँ कर्णी के आशीर्वाद से नया इतिहास रचा और एक वीरतापूर्ण राज्य की स्थापना की: बिकानेर। #BikanerDiwas #राजस्थानीगौरव #RaoBika #MaaKarni #BikanerFoundationDay#Tejeshmathurblogs

तेजेश आनंद माथुर

4/30/20251 मिनट पढ़ें

white concrete building

1465 ई. में, राव बीका अपने चाचा रावत कंधल के पास बैठकर धीरे-धीरे बातें करने लगे। जोधपुर के राजा राव जोधा, अपने बेटे को देखकर मजाक करते हुए बोले, "क्या तुम दोनों नए इलाकों को जीतने की योजना बना रहे हो?"

राव बीका और रावत कंधल ने इसे चुनौती के रूप में लिया और शपथ ली कि वे नए क्षेत्रों को जीतेंगे।

बचपन से ही राव बीका माँ कर्णी के आशीर्वाद के प्रति श्रद्धा रखते थे। एक दिन, राव बीका अपने चाचा रावत कंधल और सैनिकों के साथ देशनोक गए और माँ कर्णी से अपनी विजय की प्रार्थना की।

रावत कंधल ने माँ कर्णी से कहा, "भुवाजी (माँ), हम जोधपुर से आपके संरक्षण पर विश्वास रखते हुए निकले थे। आपकी शरण हमारी मंजिल थी। हम आपके आदेश पर धर्म की स्थापना के लिए युद्ध करने को तैयार हैं। कृपया हमें राजपूतों की नियति की दिशा बताएं। हम आपके निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं।"

माँ कर्णी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और राव बीका व रावत कंधल ने अपने साहस और विश्वास के साथ अपने अभियान की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन से उन्होंने न केवल भूमि जीती, बल्कि राजपूतों का एक मजबूत और सम्मानित राज्य भी स्थापित किया।

जय माँ कर्णी ! जय बिकानेर !

-तेजेश आनंद माथुर

** यह ब्लॉग विभिन्न कहानियों और लोककथाओं पर आधारित है। लेखक प्रस्तुत विषयवस्तु की ऐतिहासिक सत्यता की पूर्ण जिम्मेदारी नहीं लेता। यह विवरण प्रचलित इतिहास, लोकविश्वासों और जनश्रुतियों पर आधारित है। सभी चित्रों का श्रेय उनके मूल स्रोतों को जाता है।